वीडियो जानकारी:
२९ अप्रैल, २०१८
अद्वैत बोधस्थल,
ग्रेटर नॉएडा
प्रसंग:
कुशला ब्रह्मवार्तायां वृत्तिहीनाः सुरागिणः ।
तेऽप्यज्ञानतया नूनं पुनरायान्ति यान्ति च ॥ १३३॥
भावार्थ: जो ब्रह्म वार्ता में कुशल हैं, किन्तु ब्राह्मी वृत्ति से रहित और रागयुक्त हैं। निश्चय ही वे अत्यंत अज्ञानी हैं और बार-बार मरते और जन्मते रहते हैं।
~ अपरोक्षानुभूति
अपरोक्षानुभूति को कैसे समझें?
शंकराचार्य जी प्रेम के बारे में क्या समझा रहे हैं?
सत्य के लिए प्रेम का क्या अर्थ होता है?
सत्य के लिए प्रेम को कैसे जगाएँ?
क्या जीव सिर्फ़ सच से ही प्रेम करता है?
संगीत: मिलिंद दाते